Silhouette of mother and her two little children against starry night sky

Kuchh ‘Kam’ hai

Hindi poem by Pavas इक चूल्हे पर तवा चढ़ा था,इक चूल्हे पर चढ़ा पतीला,खाना खाने बैठा बच्चा,था स्वभाव से वो नखरीला हरेक कौर में मुँह…

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सावन पर हिन्दी कविता Hindi poem on Saavan

This poem is by Sonal Rastogi ji एक डुबकी गंग धार मेंकांवर के त्यौहार मेंतन मन सब धुल जाएहर हर गंगे हो जाए सावन के…

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इक शहर हो घर जैसा – योगेंद्र परांजपे की कविता

बहुत कम हो दिन स्कूल के, छुट्टियां भरपूरएक शहर हो घर जैसा, घर से काफी दूर ‍॥ हर कोने पर चाट का ठेला, हर मौसम…

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