Silhouette of mother and her two little children against starry night sky

माँ /Maa

Poem by Madhav Taneja

मां एक है पर पूरी कायनात को अपने भीतर समा लेती है,

सारे संसार की खुशियां मां अपने बच्चों के लिए कमा लेती है.

कितना ख्याल रखती है न मां हर चीज़ का,

ध्यान रखती हो मां तुम, मेरी हर छोटी-बड़ी रीझ का.

जल्दी उठाने को कहूं तो जगाती हो तुम मुझे,

रूठ जाऊं तुमसे तो मनाती हो तुम मुझे,

चोट लग जाए तो फिर उठाती हो तुम मुझे,

भाग-भाग कर फिर मरहम लगाती हो तुम मुझे.

मेरे दुख के हर कारण को अपने आंचल में समेट लेती हो,

मेरी हर याद को सीने से लगाकर दुपट्टे में लपेट लेती हो.

शिथिल पड़ा हूं मैं मां, जागूं मैं पूरी रात,

क्यों नींद खराब करो अपनी, क्यों तुम जागो मेरे साथ ?

क्यों पल-पल बाद तबीयत पूछो, क्यों करो तुम मुझसे बात?

क्यों प्रार्थना करो रात्रि में तुम, कहती रहती हो रक्षा करो भोलेनाथ !

ये कविता लिखते हुए पता नहीं आंखें क्यों नम हैं,

पीड़ा मुझे हो रही है मां, तुम्हारे मन में क्यों गम है ?

शब्द तो बहुत हैं, फिर भी पता नहीं शब्द क्यों कम हैं,

तुम्हारे बारे में लिखने के लिए मां सचमुच चाहिए बहुत दम है.