दिवाली पर कविता

यशस्वी अनिका टंडन द्वारा

यह दिवाली का दिया, कभी, सोचा क्या होता है?

यह एक प्रतीक, अंधकार पर प्रकाश और 

अधर्म पर धर्म की विजय का होता है।

यह दीपक है, एक टिम-टिमाता हुआ सितारा,

ऐसा तो गगन तक में, ना मिले, इतना प्यारा।

यह कितना शुद्ध और निर्मल,

ऐसा तो न हो, कोई सोना, न पीतल।

पाप भरी दुनिया को दिखाता है, सही पथ,

प्रभावित कर देता है सबकी जिंदगी का रथ।

अंधकार भरे जग में अकेली रोशनी,

उसका रूप जैसे मीठी चाशनी।

आओ इस दिवाली धर्म के दिए जलाएंगे,

इस परंपरा को जन-जन तक पहुंचाएंगे।