काम

अर्जुन महेश्वरी की कविता / A poem by Arjun Maheshwari

जो हर काम में पीछे रहता,

वह हर चीज मे नीचे रहता।

हर चीज का होता हल,

बस चाहिए हमको थोड़ा बल। 

एक चींटी अपना खाना दूर-दूर से लाती,

जब न मिलता तो भूखी ही रह जाती।

जब करते है कुछ काम,

तब ही मिलता विश्राम।

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