ईशान काईला की कविता
भूमि देवी है विशाल
हम से न करती कोई सवाल
पशु, भगवान, इंसान, सवेरे
जग में आते हैं अकेले
चाहे कोई न थामे हाथ
भूमि देवी देती साथ।
गिर कर उठने का देती पाठ
डराता नहीं इसे आघात
ईशान काईला की कविता
भूमि देवी है विशाल
हम से न करती कोई सवाल
पशु, भगवान, इंसान, सवेरे
जग में आते हैं अकेले
चाहे कोई न थामे हाथ
भूमि देवी देती साथ।
गिर कर उठने का देती पाठ
डराता नहीं इसे आघात