इक शहर हो घर जैसा – योगेंद्र परांजपे की कविता

बहुत कम हो दिन स्कूल के, छुट्टियां भरपूरएक शहर हो घर जैसा, घर से काफी दूर ‍॥ हर कोने पर चाट का ठेला, हर मौसम…

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