आओ याद करें उस दिन को जब तिरंगा लहराया था भारत ने जब विश्व को अपना दम-खम दिखलाया था कितने अगणित महा मनुष्य इस…
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इक शहर हो घर जैसा – योगेंद्र परांजपे की कविता
बहुत कम हो दिन स्कूल के, छुट्टियां भरपूरएक शहर हो घर जैसा, घर से काफी दूर ॥ हर कोने पर चाट का ठेला, हर मौसम…
Read More इक शहर हो घर जैसा – योगेंद्र परांजपे की कविताMashvara/ Advice / मशवरा
A gentle reminder to read to oneself often. A poem about great character
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