एक दिन नमक ने ठानीनहीं चलेगी तानाशाही पानी मेरा हर लेते हैंवे मुझको सब छल लेते हैं सूर्यदेव को लगायी गुहारउन्होंने भी सुनी पुकार “जब…
Read More नमक: हिन्दी कविता Hindi Poem: Namakएक दिन नमक ने ठानीनहीं चलेगी तानाशाही पानी मेरा हर लेते हैंवे मुझको सब छल लेते हैं सूर्यदेव को लगायी गुहारउन्होंने भी सुनी पुकार “जब…
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