भारत, 03 अप्रैल: आईआईटी दिल्ली अपनी कार्बन फुटप्रिंट (हमारी गतिविधियों के कारण वातावरण में छोड़ी गई CO2 की मात्रा) को 50% से अधिक कम करने वाला पहला केंद्रीय सरकार द्वारा वित्त पोषित तकनीकी संस्थान बन गया है। यह बिजली के बड़े उपभोक्ताओं में से एक है। संस्थान का मिशन अपने परिसर को स्मार्ट, टिकाऊ और हरा-भरा बनाना है। इस लक्ष्य के साथ, यह अपनी हरित शक्ति (शून्य-उत्सर्जन स्रोतों जैसे हवा, पानी, सौर आदि का उपयोग करके उत्पन्न की गयी बिजली) के क्रय पोर्टफोलियो के विस्तार पर लगातार काम कर रहा है। आईआईटी दिल्ली में 2.7 मेगावाट (मेगावॉटस्पेक) के छत वाले सौर PV(फोटो वोल्टेइक) इंस्टॉलेशन हैं। इसके लिए, उसने अब हिमाचल प्रदेश में एक हाइड्रो पावर जनरेटर के साथ 2 मेगावाट बिजली का द्विपक्षीय खरीद अनुबंध जोड़ा है। इस खरीद के साथ, संस्थान के पावर पोर्टफोलियो में लगभग 8.5 मेगावाट की अनुबंध मांग के मुकाबले 4.7 मेगावाट ग्रीन पावर है। यह सालाना लगभग 14,000 टन CO2 उत्सर्जन की भरपाई करने के बराबर है। यह पेरिस समझौते के दौरान भारत सरकार द्वारा जलवायु परिवर्तन प्रतिज्ञा के हिस्से के रूप में राष्ट्रीय रूप से निर्धारित योगदान( Nationally Determined Contribution) (NDC) लक्ष्य प्राप्त करने के लिए आईआईटी दिल्ली का योगदान है।