आओ याद करें उस दिन को
जब तिरंगा लहराया था
भारत ने जब विश्व को
अपना दम-खम दिखलाया था
कितने अगणित महा मनुष्य
इस यज्ञ में अर्पण हुए
कितनों के घर ठहरे मातम
कितने नीलाम और खत्म हुए
कितने घरों के बुझे चिराग
कितने बच्चे महरूम हुए
कितनी माताएँ जेलों में
कितने भाई मज़दूर हुए
उन सब ने आँखें मूँदी थीं
एक तिरंगे का स्वप्न लिए
15 अगस्त दिवस नहीं है
धनक है अपनत्व लिए।
- Nidhi Arora