रजनी सेन की कविता
सुंदर शब्दों की भर गई पेटी
आज इसे हम खोलेंगे
चाहे कुछ भी हो जाए
हम हिंदी में बोलेंगे
हिंदी दिल की भाषा है
हिंदी से ही आशा है
मुंह में जैसे घुल जाए
ऐसा मीठा बताशा है
हिंदी की मीठी मिश्री को
हम बातों में घोलेंगे
चाहे कुछ भी हो जाए
हम हिंदी में बोलेंगे