हरिद्वार, 15 जनवरी: भारत में कुंभ मेला एक प्रमुख सांस्कृतिक उत्सव है। यह त्यौहार चार नदी तट पर स्थित तीर्थ स्थलों पर हर बारह साल में एक-एक बार मनाया जाता है । यह स्थल हैं – प्रयाग, जहाँ गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का संगम होता हैं; गंगा नदी के किनारे हरिद्वार; गोदावरी नदी के तट पर नासिक; और उज्जैन शिप्रा नदी के किनारे।
इस वर्ष कुंभ मेला हरिद्वार में आयोजित किया जा रहा है। यह उत्सव 14 जनवरी से शुरू हुआ है और 27 अप्रैल तक चलेगा। कुंभ मेले को 2017 में यूनेस्को द्वारा मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत(Intangible Cultural Heritage of Humanity by UNESCO) सूची में शामिल किया गया है। नदी में एक पवित्र डुबकी / स्नान करना मेले का एक बहुत ही महत्वपूर्ण अनुष्ठान माना जाता है। ऐसा अनुमान है कि लगभग 700,000 लोगों ने पहले दिन पवित्र स्नान किया।
कुंभ शब्द का अर्थ है ‘घड़ा’ या ‘मटका’ और शब्द मेला का अर्थ है ‘एकजुट होना’ या ‘एक साथ जुड़ना ‘। यहां जिस बर्तन को संदर्भित किया जा रहा है, वह अमृत का पात्र है जो कि समुद्र मंथन के समय समुद्र से प्रकट हुआ था, जब हिंदू मिथक के अनुसार देवता और दानव अमरता के अमृत के लिए समुद्र मंथन कर रहे थे।