मॉस्को, 8 नवंबर: रूसी वैज्ञानिकों ने रूस के यमल प्रायद्वीप(peninsula) में कारा सागर के तट पर 3,000 से अधिक वालरस की एक बड़ी हालआऊट(एक ऐसा शरणस्थल, जहां बड़ी संख्या में वालरस एक साथ इकट्ठा होते हैं , प्रजनन करते हैं और सामाजिक जान पहचान करते हैं) की पहचान की है।
यह हालआऊट अद्वितीय था क्योंकि इसमें नर और मादा वालरस और उनके अलग अलग उम्र के बच्चे, एक साथ थे।
मूल रूप से वालरस हालोट्स केवल बहती समुद्री बर्फ या आर्कटिक द्वीप पर स्थित होते थे। लेकिन गर्म जलवायु चक्र के कारण समुद्री बर्फ सिकुड़ रही है और उनके आवास (प्राकृतिक घर) खतरे में हैं।
वैज्ञानिकों ने उनके डीएनए के नमूने लिए हैं और उनकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए कई सारे वालरस पर उपग्रह टैग फिट किए हैं और देखा कि उनकी संख्या में वृद्धि एक सकारात्मक संकेत है।
देहरादून में एक Residential Workshop हुआ था. पर इस Residential Workshop मे क्या खास है? यह Residential Workshop था सड़क पर रहने वाले बच्चों के लिए और इस से हुई शुरुआत बालकनामा की। बालक नामा एक भारतीय समाचार पत्र है जो गली के बच्चों द्वरा प्रकाशित किया जाता है। बालक…
उत्तराखंड के नैनीताल में स्थित आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशन साइंसेज (ARIES) के वैज्ञानिकों के एक समूह ने स्वदेशी (स्थानीय रूप से या अपने देश में) एक कम लागत वाली ऑप्टिकल स्पेक्ट्रोग्राफ विकसित की है। इसे विशेष रूप से देवस्थल ऑप्टिकल टेलीस्कोप (DOT) के साथ काम करने के लिए डिज़ाइन और विकसित किया…
श्रेया अगरवाल द्वारा साल २०२०, एक साल, जब सब कुछ थम सा गया। COVID-19 के प्रकोप व लॉकडाउन की वजह से हमारे जीवन में एक पूर्णविराम सा लग गया। स्कूल, कॉलेज, बाजार, सब बंद हो गए। हम सभी को अपने घर पे रहकर अपना काम ऑनलाइन जारी रखना पड़ा। हालांकि…