उत्तराखंड के नैनीताल में स्थित आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशन साइंसेज (ARIES) के वैज्ञानिकों के एक समूह ने स्वदेशी (स्थानीय रूप से या अपने देश में) एक कम लागत वाली ऑप्टिकल स्पेक्ट्रोग्राफ विकसित की है। इसे विशेष रूप से देवस्थल ऑप्टिकल टेलीस्कोप (DOT) के साथ काम करने के लिए डिज़ाइन और विकसित किया गया था। इसे Aries-Devasthal Faint Object Spectrograph & Camera (ADFOSC) नाम दिया गया है। इससे पहले, स्पेक्ट्रोस्कोप विदेश से आयात किए जाते थे। स्वदेशी डिजाइन और विकास लागत अन्य देशों से इसके आयात की लागत से लगभग 2.5 गुना कम थी। टीम को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) से भी मदद मिली।
स्पेक्ट्रोग्राफ क्या है?
यह समझने के लिए कि एक स्पेक्ट्रोग्राफ क्या है, हमें पहले स्पेक्ट्रोस्कोप क्या है इसे समझने की जरूरत है।
जब सफेद प्रकाश एक प्रिज्म से गुजरता है, तो यह सात अलग-अलग रंगों में विभाजित होता है जिसे दृश्य स्पेक्ट्रम (VIBGYOR) (चित्र 2) के रूप में जाना जाता है। इसे प्रकाश का विवर्तन कहा जाता है। सफेद प्रकाश की तरह, प्रत्येक तत्व गर्म होने पर प्रकाश देता है और एक स्पेक्ट्रम का उत्पादन करता है जो की उस तत्व के लिए अद्वितीय होता है जिस तरह उंगली के निशान।
स्पेक्ट्रोस्कोप एक ऐसा उपकरण है जो किसी भी पदार्थ से आने वाले प्रकाश की किरण द्वारा दिए गए स्पेक्ट्रम के विवर्तन पैटर्न(diffraction pattern) का उपयोग करता है। यह हमें उन विभिन्न तत्वों की पहचान करने में मदद करता है जिससे वह पदार्थ बना हैं। स्पेक्ट्रम के विवर्तन पैटर्न को देखने के लिए स्पेक्ट्रोस्कोप में आमतौर पर एक देखने की नली (scope) होती है। लेकिन जब कैमरे विकसित किए गए थे, तो बजाय इसे देखने के, स्पेक्ट्रम की छवि और विवर्तन पैटर्न को पकड़ने के लिए स्पेक्ट्रोस्कोप के viewing piece को कैमरे से बदल दिया था । इसे स्पेक्ट्रोग्राफ कहा जाता है।
स्पेक्ट्रोस्कोपी का उपयोग रसायन विज्ञान और खगोल विज्ञान जैसे क्षेत्रों में विश्लेषण के लिए किया जाता है। दूरबीनों से जुड़े खगोलीय स्पेक्ट्रोग्राफ अत्यधिक संवेदनशील होते हैं और विभिन्न सितारों, आकाशगंगाओं और अन्य खगोलीय पिंडों जैसी दूर की वस्तुओं से आने वाले मंद प्रकाश को पकड़ सकते हैं। उनकी रचना और चाल को समझने के लिए इसी मंद रोशनी का विश्लेषण किया जाता है।