19 देशों के लोगों की मेजबानी कर चुका है
वाशिंगटन, 3 नवंबर: 31 अक्टूबर, 2000 को , नासा के विलियम शेफर्ड और रूस के यूरी गिदज़ेंको और सर्गेई क्रिकेलेव को रूसी सोयुज रॉकेट पर कजाकिस्तान से लॉन्च किया गया था, और दो दिन बाद वे अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के पहले निवासी बन गए थे। क्रू को ‘Expedition 1’ कहा गया। तब से आईएसएस, जो 25 अंतरिक्ष एजेंसियों और संगठनों के बीच एक सहभागिता है, ने 19 देशों के 241 चालक दल और पर्यटकों की मेजबानी की है।
ISS में एक रशियन लिविंग एंड रिसर्च क्वार्टर का सुइट, एक अमेरिकन लैब, एक यूरोपियन लैब, एक जापानी लैब, तीन कनेक्टिंग नोड्स, एक कैनेडियन रोबोट आर्म, एक बहुत सारी खिड़कियों वाला गुम्बद(cupola) (जो कि पृथ्वी का 360-डिग्री का दृश्य दिखाता है ) और एक फुटबॉल के मैदान के आकार का ट्रस संरचना, जो सौर सरणियों, बैटरी और रेडिएटर के चार सेट रखता है।
आईएसएस ने सैकड़ों वैज्ञानिक प्रयोगों की मेजबानी की है। अब तक, इसने 103 देशों के 2,700 से अधिक अनुसंधानों में सहयोग किया है, जिसमें जीवन और भौतिक विज्ञान जैसे विषयों से लेकर मौलिक भौतिकी (fundamental physics )और प्रायोगिक तकनीक(experimental technology) तक शामिल हैं। आईएसएस यह भी शोध करता है कि लंबे समय तक स्पेसफ्लाइट जीवित प्राणियों को कैसे प्रभावित करता है।
19 देशों के लोगों की मेजबानी कर चुका है
वाशिंगटन, 3 नवंबर: 31 अक्टूबर, 2000 को , नासा के विलियम शेफर्ड और रूस के यूरी गिदज़ेंको और सर्गेई क्रिकेलेव को रूसी सोयुज रॉकेट पर कजाकिस्तान से लॉन्च किया गया था, और दो दिन बाद वे अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के पहले निवासी बन गए थे। क्रू को ‘Expedition 1’ कहा गया। तब से आईएसएस, जो 25 अंतरिक्ष एजेंसियों और संगठनों के बीच एक सहभागिता है, ने 19 देशों के 241 चालक दल और पर्यटकों की मेजबानी की है।
ISS में एक रशियन लिविंग एंड रिसर्च क्वार्टर का सुइट, एक अमेरिकन लैब, एक यूरोपियन लैब, एक जापानी लैब, तीन कनेक्टिंग नोड्स, एक कैनेडियन रोबोट आर्म, एक बहुत सारी खिड़कियों वाला गुम्बद(cupola) (जो कि पृथ्वी का 360-डिग्री का दृश्य दिखाता है ) और एक फुटबॉल के मैदान के आकार का ट्रस संरचना, जो सौर सरणियों(solar arrays), बैटरी और रेडिएटर के चार सेट रखता है।
आईएसएस ने सैकड़ों वैज्ञानिक प्रयोगों की मेजबानी की है। अब तक, इसने 103 देशों के 2,700 से अधिक अनुसंधानों में सहयोग किया है, जिसमें जीवन और भौतिक विज्ञान जैसे विषयों से लेकर मौलिक भौतिकी (fundamental physics )और प्रायोगिक तकनीक(experimental technology) तक शामिल हैं। आईएसएस यह भी शोध करता है कि लंबे समय तक स्पेसफ्लाइट जीवित प्राणियों को कैसे प्रभावित करता है।