मूल लेख: निधि ; हिन्दी अनुवाद: सायोना जैन
बहुत, बहुत दूर, फैक्ट्री में कुछ बनता है. वह फैक्ट्री आपके घर से ५ किलोमीटर दूर हो सकती है या ५,०००!
फिर इन कारखानों से चीजें हम तक कैसे पहुँचती हैं?
आइए समझते हैं.
चीजें हम तक कैसे पहुंचती हैं?
जैसे आप इस चित्रण में देख सकते है, पहले मामले में, जहाँ कंपनी सीधा ग्राहक को बेचती है, कंपनी पूरा मार्जिन रखती है, संभवतः ग्रहक को थोड़ी छूट भी दे सकते है. व्यापार चैनलों के अलावा, वितरक, थोक विक्रेता, और फुटकर विक्रेता, सभी को एक छोटा लाभ मिलता है, और आख़िरकार उत्पाद ग्राहक तक पहुँच जाता है. ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं के मामले में, वे सीधे कंपनी से उत्पाद खरीदते हैं और अंतिम ग्राहक को छूट प्रदान करते हैं. या, व्यक्तिगत वितरक जो या तो चीज़े खरीदते है या बनाते है सीधा ऐमज़ॉन पर बेचते है. अमेज़न मार्जिन का एक बड़ा हिस्सा रखता है.
ट्रेडिशनल ट्रेड चैनल अभी भी क्यों काम करता है?
जैसे हम स्पष्ट रूप से देख सकते है, पारंपरिक व्यापार चैनल में उत्पाद कई हाथों से गुजरता है. हम यह मान सकते हैं कि इसका मतलब यह है कि अंतिम उत्पाद इस मामले में सबसे महंगा होगा. फिर, कंपनियां पारंपरिक व्यापार चैनलों का उपयोग क्यों करती हैं? ट्रेड चैनल पार्टनर ऐसा क्यों करते हैं?
थोक व्यापारी और वितरक:
- कंपनी को देश के हर हिस्से में उत्पाद भेजने की परिवहन लागत वहन करने की आवश्यकता नहीं है। थोक व्यापारी और वितरक ऐसा करते हैं.
- कंपनी को कुछ दिनों के भीतर या अग्रिम में अपना पैसा मिल जाता है, भले ही ग्राहक 3 या 6 महीने बाद उत्पाद खरीदे. वित्त की इस लागत को व्यापार चैनल द्वारा वहन किया जाता है।
- कंपनी को अपना स्टॉक को सुरक्षित रखने की ज़रुरत नहीं है. यह फैक्ट्री से उत्पाद ग्राहक को सीधे बेचने से कम समय में करते है.
- ट्रेड चैनल को बेहतर बिक्री का आश्वासन मिलता है जब वह मान्यता प्राप्त ब्रांडों के साथ काम करता है. कंपनी की ब्रांडिंग और विज्ञापन उन्हें ऑर्डर प्राप्त करने में मदद करते है.
रिटेलर्स:
- खुदरा विक्रेता उत्पाद के लिए मुफ्त विज्ञापन होर्डिंग्स प्रदान करते हैं. आउटडोर होर्डिंग्स महंगे होते है. क्या आप सोच सकते हैं कि सैमसंग, शाओमी, वीवो और अन्य निर्माताओं को आउटडोर होर्डिंग्स अकेले पर खर्च करना पड़ेगा अगर उनके पास यह बिक्री भंडार नहीं होते?
- रिटेलर्स एक ज़रूरी सर्विस भी प्रदान करते है- ग्राहक उत्पाद को खरीदने से पहले छूना चाहते है. विशेष रूप से उच्च मूल्य की चीजों के लिए. आप भी खरीदने से पहले ड्रेस या फोन देखना पसंद करते होंगे?
- दिसंबर 2019 में जारी विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, ऑनलाइन बिक्री भारत की कुल खुदरा बिक्री का केवल 1.6% है. इसका मतलब अगर एक भारतीय ग्राहक १०० रुपया खर्च करता है, ९८.४ रुपया भौतिक दुकान में खर्च होते है केवल १.६ रुपया फ्लिपकार्ट, अमेज़न, जैसे ऑनलाइन प्लेटफार्म पर खर्च होते है.
- खुदरा विक्रेता बेहतर बिक्री के लिए स्थापित ब्रांडों के साथ काम करना पसंद करते हैं. भले ही ब्रांडेड उत्पाद रिटेलर को बहुत कम मार्जिन देते हैं, खुदरा विक्रेता सोचता है कि अधिक टुकड़े बेचेंगे, इसलिए वे अधिक पैसा कमाएंगे.
कुछ कम्पनिया सीधा ग्राहक को बेचने की कोशिश करती है अपनी वेबसाइट के द्वारा, ऐसा क्यों?
- यह कमपनी की मदद करता है, ग्राहक के साथ सीधे संपर्क में आने के लिए।
- कंपनी उत्पाद पर सबसे अधिक मार्जिन बनाती है.
अमेज़ॅन जैसे ऑनलाइन एग्रीगेटर के बारे में क्या?
ऑनलाइन विक्रेता निम्नलिखिति में से दोनों या दोनों में से एक करते है:
A. कई बार, वे कारखाने से बहुत सस्ते में खरीदते है और सीधा ग्राहक को बेचते है. उनकी डिलीवरी चेन पहले से ही है, और वह हर बिक्री पर पैसा कमाते है. ग्राहक को उत्पाद पर छूट भी मिलती है, क्योंकि उत्पाद से कमाई करने की कोशिश करने वालों की संख्या कम है.
B. वे एक बाज़ार का निर्माण करते हैं. अगर आप अपने माता-पिता के साथ साप्ताहिक बाजार गए हो, आपने देखा होगा वहां सबके पास दुकान है. जो व्यक्ति बाजार चलाता है, वह कोई उत्पाद नहीं बेचता है. वह इन लोगो को दुकाने बेचता है. लेकिन उनसे एक निश्तित किराया मांगने कि वजाय, वे उस बाजार में की गई सभी बिक्री का हिस्सा लेते है. अमेज़न जैसे ऑनलाइन बाजार ऐसे काम करते है.
तो, सबसे अच्छा मॉडल कौन सा है?
सबसे अच्छा रंग, सबसे अच्छी जगह… कि तरह कोई एकल सबसे अच्छा मॉडल नहीं है. अलग-अलग लोगो के लिए अलग-अलग चीज़े काम करती है. उदाहरण के लिए, आपके घर का कोई व्यक्ति हर समय ऑनलाइन खरीदना चाहता है, जबकि दूसरा व्यक्ति हमेशा स्टोर से जाकर खरीदना चाहता है. बिलकुल इस ही तरह है!