चेन्नई, 26 नवंबर: प्लास्टिक प्रदूषण पर किए गए एक ताजा अध्ययन से पता चला है कि माउंट एवरेस्ट को भी प्लास्टिक द्वारा नहीं बख्शा गया है। प्लास्टिक सबसे गहरे महासागर में, हवा में, आर्कटिक की बर्फ में और हमारे खुद के पेट में भी पाया गया। इस अध्ययन से पता चला कि माउंट एवरेस्ट पर बर्फ में प्लास्टिक के छोटे-छोटे धागे और कतरे हैं।
प्लास्टिक का उपयोग 1950 के दशक में लगभग 5 मिलियन मीट्रिक टन से बढ़कर 2020 में 330 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक हो गया है। प्लास्टिक बैग, बोतलों और अन्य उपभोक्ता प्लास्टिक के पांच मिलीमीटर से छोटे टूटे-फूटे टुकड़ों को माइक्रोप्लास्टिक कहा जाता है और यह पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचातें है। हर साल, दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए सैकड़ों लोग प्रयास करते हैं।वे अपने पीछे कचरे के ढेर को छोड़ देते हैं। एवरेस्ट पर पाए जाने वाले अधिकांश माइक्रोप्लास्टिक्स, पर्वतारोहियों के उपकरण और कपड़ों के पॉलिएस्टर फाइबर थे।
हम अपने पर्यावरण से इन प्लास्टिक को कम करने के लिए क्या करने जा रहे हैं?